''इंटरनल सिक्योरिटी'' नाम की पुस्तक पब्लिश, डीसीपी राजर्षि वर्मा ने लिखी पुस्तक
Thursday, Nov 21, 2024-09:02 PM (IST)
जोधपुर, 21 नवंबर 2024 । जोधपुर के डीसीपी राजर्षि वर्मा ने अपने ड्यूटी वक्त में रहते 'इंटरनल सिक्योरिटी' नाम की एक पुस्तक लिखी, जो इसी साल जून में पब्लिश हुई । डीसीपी राज ऋषि वर्मा ने यह पुस्तक राज्यपाल कलराज मिश्र के ADCP के पद पर रहते हुए लिखी । बता दें कि आज इस पुस्तक से यूपीएससी परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों के लिए यह टिप्स काम आ रहे हैं । डीसीपी राजर्षि वर्मा ने बताया कि जब मैं यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, उस वक्त मुझे भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा और इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने ये पुस्तक लिखी, इस पुस्तक को लिखने के लिए तकरीबन डेढ़ से दो वर्ष लगे, उन्होंने बताया कि यह पुस्तक मैं भारत के आंतरिक सुरक्षा को लेकर लिखी है ।
इस पुस्तक से प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों को फायदा मिलेगा- राजर्षि वर्मा
राजर्षि वर्मा ने बताया कि जब भी मुझे टाइम मिलता था तब यह पुस्तक लिखा करता था । इस पुस्तक से प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों को फायदा मिलेगा । सभी तरह की छात्रों को आसानी से यह पुस्तक उपलब्ध हो जाएंगी । उन्होंने बताया कि भारत का आंतरिक सुरक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक है । इस पुस्तक में सारे ज्वलंत मुद्दे को छुआ हुआ है । इस पुस्तक में जम्मू एंड कश्मीर मिलनटेन्सी हो, या फिर इमरजेंसी हो या नक्सलिज्म हो टेररिज्म हो साइबर क्राइम हो इन सारे चैप्टर को हमने लिया है । मैनेजमेंट को भी अलग से कवर किया है । और प्रयास यह है कि प्रतियोगिता परीक्षा में तैयारी कर रहे छात्रों को भारत की सुरक्षा स्थिति को समझना चाहता है क्या समस्याएं हैं । इस पुस्तक से वह आसानी से समझ सकते हैं कोई भी व्यक्ति इस टॉपिक को समझना चाहते हैं तो आसानी से इस पुस्तक से समझ सकते हैं ।
पढ़ने लिखने का शौक मुझे बचपन से था- राजर्षि वर्मा
साथ ही उन्होंने बताया कि पढ़ने लिखने का शौक मुझे बचपन से था । लेकिन बुक लिखने का ख्याल तब आया जब मैं राज भवन में था । मेरा इंटरेक्शन कुछ छात्रो से हुआ तब छात्रो ने बताया की इन मुद्दों के बारे में किसी भी पुस्तक में नहीं मिल पा रहा है । और ना ही मार्केट में ऐसी पुस्तक है जिनमें इन मुद्दों को छुआ है । तो इसी को ध्यान में रखते हुए मैं पुस्तक लिखने का ख्याल आया और मेरा व्यक्तिगत रूप से भी अनुभव रहा था । एक जगह सारी चीज मुझे भी नहीं मिल पाई थी । जिससे मुझे भी कहीं दिक्कतो का सामना करना पड़ा और इसी के चलते मैं पुस्तक लिखने का निर्णय लिया और यह पुस्तक लिखी यह पुस्तक 400 पेज की है अभी अंग्रेजी में यह पुस्तक प्रकाशित की गई है । लेकिन जल्द ही इसका हिंदी वर्जन भी मार्केट में उपलब्ध होगा ।