वसुंधरा को नेतृत्व देंगे, इस विश्वास के साथ ही पार्टी में आया हूं - देवीसिंह भाटी

9/29/2023 7:58:10 PM

बीकानेर क्षेत्र कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी ने एक बार फिर बीजेपी में एंट्री ली है . भाटी भले ही बीजेपी में आ गए हों लेकिन उनके तेवर और मंशा बिल्कुल साफ है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की खुलकर पैरवी करने वाले देवी सिंह भाटी ने अर्जुन मेघवाल से विवाद, पार्टी की रीति-नीति और चुनावी रणनीति पर पंजाब केसरी डिजिटल एडिटर विशाल सूर्यकांत से बेबाक बात की. पढ़िए देवी सिंह भाटी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

Q - कल भाजपा में वापस लौटने का दिन था, कैसा महसूस कर रहे हैं ?

A - मुझे लगा कि मैं पांच साल की छुट्टी के बाद फिर आया हूं. लोगों ने खूब कयास लगाए कि मैं कांग्रेस में जा रहा हूं. मैं कहता रहा कि मेरे शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दो, लेकिन कांग्रेस में जाने का सवाल नहीं. बीकानेर में अस्सी से चुनाव लड़ता आया हूं. बीजेपी मेरा परिवार है. अब खुल कर लड़ाई लडेंगे.

Q - आम तौर पर राजनीति में ऐसी छुट्टी और ऐसी वापसी होती नहीं, जैसी आपकी हो रही है .

A- वो इसीलिए कि मैं छुट्टी लेकर घर नहीं बैठा. अपना काम करता रहा.मैं बराबर संघर्ष करता रहा हूं. सरकार और प्रशासन मेरे संघर्ष को जानता है. मैं घर नहीं बैठ सकता, जब तक मेरा शरीर काम करेगा, सक्रिय रहूंगा.

Q - लेकिन ये एंट्री तो साल भर पहले होनी थी, जब आपने वसुंधरा जी के लिए बीकानेर में मंच सजाया था .

A- आपकी बात काफी हद तक सही है. लेकिन वसुंधरा जी से मेरे रिश्ते ऐसे हैं कि कार्यक्रम में आई थी.ऐसा नहीं था कि पार्टी में शामिल करने के लिए कार्यक्रम था.हमारे संबंध ऐसे हैं कि मैं और मेरे कार्यकर्ता उनके कार्यक्रमों में हर दौर में आते-जाते रहे हैं.

Q.क्या ये सही नहीं है कि पार्टी के ही कुछ नेताओं ने चाहा कि आपकी वापसी न हो ?

A. हां, ये सही है कि हमारे डिफरेंसेस थे. हो सकता है कि इन वजहों से भी रुका रहा हो. लेकिन मेरे सामने ऐसा कोई बात आई नहीं. लेकिन जरूर कुछ न कुछ होगा. अब मेरी बात करवा दी गई. अब इस प्रकार से कोई दिक्कत नहीं आएगी.

Q. आप चुनावों के ऐन मौक़े पर पार्टी में आए हैं, ज़ाहिर है कोलायत से आप ही की उम्मीदवारी होगी ?

A. ये पार्टी तय करेगी कि मैं चुनाव लड़ूं या नहीं, क्योंकि जब पार्टी में आ गए तो मेरा स्वभाव है कि मैं एक बार जुड़ जाता हूं तो हस्तिनापुर की आस्था से बंध जाता हूं.

Q. आपका हस्तिनापुर है कहां ?

A. मैं पार्टी के साथ हूं, जिसमें अब वसुंधरा जी जैसी नेता को आगे लाया जाएगा तो राजस्थान में निश्चित रूप से कांग्रेस का सफाया हो जाएगा.

Q. आपका बयान था कि हम तीसरा मोर्चा बनाएंगे, क्या इसी को रोकने के लिए आपको पार्टी से जोड़ा है ?

A. देखिए, मेरी मांगे ज्यादा नहीं थी, एक दो थी, कांग्रेस में जैसे मासेज के लीडर अशोक गहलोत हैं, वहीं हमारे यहां मासेज की लीडर वसुंधरा राजे हैं. जो उनका तरीका है, चुनरी ओढ़ना, ओढ़ाना, बात करना, दो बार मुख्यमंत्री रहना, वो निश्चित रूप से वसुंधरा जी का फायदा पार्टी को मिलेगा.

Q. लेकिन बीजेपी ने मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया नहीं और आप वसुंधरा जी के लिए पार्टी में आ गए.

A. मुझे बातचीत से लगा कि जिन्हें पार्टी में बहुत बड़ा सम्मान मिलेगा, जिम्मेदारी दी जाएंगे. मुझे किसी ने कहा कि किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा आगे नहीं किया है तो मुझे भी लगा कि सिर्फ अकेली वसुंधरा जी के लिए ऐसा करना व्यावहारिक नहीं. लेकिन उनकी भूमिका बड़ी होगी नीतिगत रूप से तय हो गया. टिकट वितरण में ध्यान रखा जाएगा. ये सब देखते हुए ही पार्टी में आया हूं.

Q. क्या और भी नेता पार्टी में आएंगे, जो निष्काषित और निलंबित है ?

A. उन्हें पार्टी में फिर लाना चाहिए, चाहे वो रणजीत सिंह भींडर हों, अजमेर में भंवर सिंह पलाड़ा, अलवर से रोहिताश्व शर्मा हो.भरतपुर में विजय बंसल हों. मुझे लगता है कि उनको शामिल किया जाएगा.

Q. जब परिस्थितियों का विश्लेषण करते हैं तो लगता है कि भाटी जी की एंट्री बहुत देर से हुई ?

A. हां, ऐसा हो सकता है लेकिन मैं चलाकर ऐसा कुछ कहा नहीं, किया नहीं. मुझे लगता है कि पार्टी में अगर वसुंधरा जी का मान-सम्मान नहीं होता तो तीसरा मोर्चा या उस तरफ जाता लेकिन मुझे लगता है कि पार्टी में उनका महत्व रहेगा इसीलिए अब ऐसी नौबत नहीं है अलग होने की. यही मानकर पार्टी में आ गया हूं. इस पार्टी को हमनें अस्सी के दशक से खून पसीने से सींचा है.

Q. आपके क्षेत्र में ही अर्जुन मेघवाल हैं. केन्द्रीय मंत्री, आला नेतृत्व के करीबी,  लेकिन आपकी उनसे नहीं बनती, ये सार्वजनिक बात है. अब कैसे निभेगा रिश्ता ?

A. ये तो समझने की बात है. हमारा वैसे झगड़ा किस बात का. न तो हमारा विधानसभा क्षेत्र हैं और न ही राजनीति. वो लोकसभा में हैं, मैं विधानसभा क्षेत्र में हूं. मुझे लगता है कि अब समझ में आ गया तो दिक्कत नहीं होगी.

Q.आप सात बार चुनाव जीते लेकिन पिछली बार चुनाव हारे, क्या वजह रही ?

A. विधानसभाओं के परिसीमन में कई ऐसी पंचायतें जुड़ गई जिससे कोलायत में नुकसान हो गया. लेकिन अब लूट की वजह से जनता निराश है. उनका परंपरागत वोट बैंक भी नाराज़ है.

Q. क्या अब वसुंधरा राजे को परिवर्तन यात्रा की जिम्मेदारी देकर राजस्थान में जाना चाहिए ?

A. मुझे ऐसा लगता है, मैंने भी ये सुझाव दिया है कि हमें इश्यूज़ को पकड़ना चाहिए. जिस कारण से लोग परेशान हैं.वर्तमान सरकार है उसको हम निश्चित रूप से चैन से नहीं जीने दें. मुझे लगता है कि इस लड़ाई में वसुंधरा राजे का नेृतत्व मददगार रहेगा. वो सड़कों पर आएंगी और हम जनता को न्याय दिलाएंगे.

Q. कांग्रेस कह रही है कि सरकार के खिलाफ कोई एंटी इनकमबेंसी नहीं है कोई बड़ा जन आंदोलन सामने आया नहीं है.

A. बोफोर्स का मुद्दा ऐसा था कि जनता ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को स्वीकारा था, मुझे लगता है कि ऐसा ही राजस्थान में इस बार होगा. एक ही परिवार और नेता के करीबी नौकरियों में लगे हैं. पेपरलीक हुए हैं. लोग परेशान हैं. जनता परिवर्तन चाहती है.

 

Afjal Khan

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