राजस्थान: नगर निगम से कैसे होंगे विकास कार्य? खजाने में बचे हैं सिर्फ 2 करोड़
1/25/2021 3:45:07 PM
जयपुर/ब्यूरो। कोरोना वैक्सीनेशन (Vaccination) के मामले में सबसे आगे चल रहे राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) के सरकारी हालत इस वक्त काफी खस्ता है। इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि शहर के विकास के लिए करोड़ों में कर्जा लेने की तैयारी चल रही है।
500 करोड़ का कर्जा
जयपुर शहर के सरकार की हालत इस दिनों ऐसी हो गई है कि वो अपने शहर के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए का कर्जा लेने का प्लान कर रहे हैं। आपको बता दें कि ग्रेटर नगर निगम पहले से ही कर्जें में डूबे हुई है। नगर निगम पर पहले ही 350 रुपए की देनदारी है।
क्या है मामला?
जयुपर के ग्रेटर नगर निगम का यह मामला राजस्थान सरकार पर सवाल खड़ा कर रहा है। पहले से ही देनदारी में घिरे इस निगम पर माली हालत काफी खस्ता चल रही है। भले ही इस नगर निगम को बोर्ड बना दिया गया हो लेकिन इस वक्त मेयर समेत सभी पार्षदों के ऊपर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है। सूत्रों की मानें तो नगर निगम के खाते में मात्र इस वक्त 2 करोड़ रुपए ही बचे हुए हैं। जिसके कारण अब वो इस संकट को दूर करने के लिए 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी कर रहे हैं।
यहां से ले सकती है कर्ज
ग्रेटर नगर निगम इस 500 रुपए के मोटी रकम कर्ज के रूप में हुडको से लेने की सोच रही है। इसके लिए निगम 28 जनवरी को होने वाली साधारण सभा में एक प्रस्ताव भी रखेगी क्योंकि पिछले कई महीनों से विकास कार्यों के टेंडर को भी निगम ने निरस्त कर दिया है।
मेयर ने दिया इसे दोष
ग्रेटर मेयर सौम्य गुर्जर ने शहर में विकास कार्यों के लिए हो रही पैसों की किल्लत का पूरा जिम्मेदार पिछले 2 साल को दिया है। उनका कहना है कि पिछले दो सालों में निगम को लूटा गया है कि जिसके कारण ही पैसों की किल्लत हुई है और हम 350 करोड़ के माइनस में हैं। निगम के पास कर्ज लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है क्योंकि इसके बिना शहर का विकास कार्य नहीं हो पाएगा।वहीं इसके बाद अब अगर निगम कर्जा लेती हो तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये 500 करोड़ रुपए का कर्जा चुकाया कैसे जाएगा।
CM गहलोत ने दिए निर्देश
वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंचायतों की भुगतान व्यवस्था को पहले की भांति ही बैंकों के माध्यम से जारी रखने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से सरपंचों ने प्रदेश की पंचायतीराज संस्थाओं व स्वायत्तशासी संस्थाओं के भुगतान के लिए बैंक खातों के स्थान पर व्यक्तिगत जमा (पीडी) खाता प्रणाली को लागू करने के संबंध में आ रही व्यावहारिक समस्याओं से राज्य सरकार को अवगत कराया था।
पंचायतों में भुगतान के लिए पुरानी व्यवस्था ही रहेगी जारी
सरकारी बयान के अनुसार, इन समस्याओं के निदान के लिए रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री गहलोत की अध्यक्षता में बैठक कर चर्चा की गई। बैठक में निर्णय किया गया कि पंचायतों की भुगतान व्यवस्था को पूर्ववत जारी रखा जाए ताकि पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास से संबंधित कार्यों में किसी तरह की व्यावहारिक बाधाएं नहीं आएं। कोरोना से उपजी विषम वित्तीय परिस्थितियों के मद्देनजर वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से राज्य सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं और स्वायत्तशासी संस्थाओं के भुगतान के लिए पीडी अकाउंट प्रणाली को लागू करने का निर्णय किया था।