राजस्थान के शिक्षा मंत्री फिर विवादों के घेरे में ?
Thursday, Dec 26, 2024-07:40 PM (IST)
राजस्थान के शिक्षा मंत्री के बयान पर उठे सवाल
प्रेस वार्ता में विवादित बयान
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सीकर सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि अधिशेष शिक्षकों के समायोजन में कभी काउंसलिंग नहीं हुई है। यह बयान तब आया जब उनसे इस संबंध में सवाल किया गया। हालांकि, उपलब्ध तथ्य मंत्री के दावे के विपरीत हैं।
तथ्यों से मंत्री का दावा खारिज
भाजपा के पिछले कार्यकाल से लेकर 2022 तक तीन प्रमुख काउंसलिंग प्रक्रियाएँ आयोजित की गईं।
- महात्मा गांधी स्कूलों में अधिशेष शिक्षकों का समायोजन काउंसलिंग के माध्यम से हुआ।
- शिक्षा निदेशालय द्वारा काउंसलिंग के लिए लिखित आदेश जारी किए गए।
मंत्री का यह बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि यह समायोजन प्रक्रिया को लेकर एक नया विवाद खड़ा करता है।
2022 की प्रक्रिया: अधिशेष शिक्षकों का समायोजन
जनवरी 2022 में स्टाफिंग पैटर्न के आधार पर प्रदेश के 2400 अधिशेष शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से अन्य स्कूलों में नियुक्त किया गया।
- 2016 और 2018 में भी हजारों शिक्षकों को काउंसलिंग के जरिए नई जिम्मेदारियाँ दी गईं।
- महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भी शिक्षक चयन काउंसलिंग प्रक्रिया से हुआ।
काउंसलिंग: पारदर्शिता और आवश्यकता
काउंसलिंग प्रक्रिया का उद्देश्य समायोजन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
- अधिशेष शिक्षकों का समायोजन काउंसलिंग के बिना संभव नहीं।
- शिक्षा निदेशालय के आदेश इस बात की पुष्टि करते हैं।
शिक्षा विभाग में बढ़ी हलचल
मंत्री के बयान के बाद शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया।
- शिक्षकों और संगठनों ने मंत्री के बयान पर सवाल खड़े किए।
- रिकॉर्ड और दस्तावेज़ मंत्री के दावे को झूठा साबित करते हैं।
समायोजन प्रक्रिया पर प्रभाव
अधिशेष शिक्षकों का समायोजन शिक्षा तंत्र की गुणवत्ता और शिक्षकों के करियर को प्रभावित करता है।
- पारदर्शी और व्यवस्थित प्रक्रिया से शिक्षा प्रणाली में सुधार संभव।
- काउंसलिंग प्रक्रिया को भ्रामक बयानों से कमजोर करना गलत संदेश देता है।
आगे की चुनौतियाँ
मदन दिलावर के बयान ने शिक्षा विभाग और समायोजन प्रक्रिया को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
- शिक्षा विभाग को प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना होगा।
- शिक्षकों और नीति निर्माताओं को मिलकर इस मुद्दे पर ध्यान देना होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग इस विवाद का समाधान कैसे करता है और समायोजन प्रक्रिया में पारदर्शिता को कैसे सुनिश्चित करता है।