गोडावण संरक्षण में ऐतिहासिक पहल: राजस्थान सरकार ने 21 मई को प्रतिवर्ष ‘गोडावण दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की
Sunday, Oct 12, 2025-11:00 AM (IST)
राजस्थान के गौरव और मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र की पहचान बने दुर्लभ पक्षी गोडावण (Great Indian Bustard) के संरक्षण को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। अब हर साल 21 मई को ‘गोडावण दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह जानकारी डेज़र्ट नेशनल पार्क (DNP) जैसलमेर के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि गोडावण संरक्षण में हो रहे अभूतपूर्व प्रयासों को देखते हुए माननीय वन मंत्री द्वारा इस दिवस को प्रतिवर्ष मनाने की घोषणा की गई है।
डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने कहा कि गोडावण राजस्थान का राजपक्षी है और इसकी अधिकतम संख्या जैसलमेर ज़िले के मरुस्थलीय इलाकों में ही पाई जाती है। यह निर्णय गोडावण संरक्षण को नई दिशा देने वाला साबित होगा। गोडावण न केवल राज्य की जैव विविधता का प्रतीक है बल्कि यह मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा भी है।
उन्होंने बताया कि जैसलमेर में गोडावण के संरक्षण के लिए सुदासरी में स्थापित ब्रीडिंग सेंटर अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण बन चुका है। यहां अंडों से चूज़े निकालकर सुरक्षित वातावरण में पाला जा रहा है। यह प्रयास गोडावण की घटती संख्या को संभालने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। गुप्ता ने कहा कि गोडावण की संख्या में धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव दिखने लगे हैं।
डीएफओ ने बताया कि राज्य सरकार और वन विभाग की प्राथमिकता गोडावण के आवासीय क्षेत्रों को और अधिक सुरक्षित बनाना है। इसके लिए लगातार फील्ड मॉनिटरिंग, अवैध गतिविधियों पर रोक और शिकार की रोकथाम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को भी इस संरक्षण अभियान से जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि ‘गोडावण दिवस’ मनाने का उद्देश्य सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन खड़ा करना है, जिससे हर नागरिक इस पक्षी की सुरक्षा में अपनी भूमिका समझे। इस दिन राज्यभर में जागरूकता रैलियां, संगोष्ठियां, स्कूल-कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम और डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शन किए जाएंगे ताकि युवा पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को मजबूत किया जा सके।
गुप्ता ने बताया कि गोडावण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘क्रिटिकली एंडेंजर्ड स्पीशीज़’ की श्रेणी में आता है। कभी देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में दिखाई देने वाला यह पक्षी आज केवल सीमित क्षेत्रों में ही बचा है, जिनमें जैसलमेर सबसे प्रमुख केंद्र है।
डीएफओ ने कहा कि स्थानीय ग्रामीण समुदाय का इस पक्षी के प्रति प्रेम और सहयोग संरक्षण के लिए बड़ी ताकत साबित हुआ है। ग्रामीणों ने न केवल अवैध गतिविधियों को रोकने में विभाग का सहयोग किया है, बल्कि गोडावण को बचाने के लिए स्वयं आगे आकर पहरेदारी की है।
उन्होंने कहा कि गोडावण का संरक्षण केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश के पर्यावरणीय भविष्य से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम न केवल जैव विविधता संरक्षण में मील का पत्थर बनेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह एक मजबूत संदेश देगा।
गुप्ता ने अंत में कहा कि “21 मई को ‘गोडावण दिवस’ मनाना हमारे लिए गर्व की बात है। इस दिन को जनजागरूकता के रूप में मनाकर हम गोडावण को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएंगे। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इस दुर्लभ प्रजाति की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और थार मरुस्थल में गोडावण की उड़ान फिर से आकाश में दिखाई देगी।”
