नगरीय विकास विभाग ने बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की औपचारिक स्वीकृति दी

Wednesday, Apr 09, 2025-07:11 PM (IST)

नगरीय विकास विभाग ने राजधानी जयपुर के बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर को हटाने की औपचारिक स्वीकृति दे दी है। विभाग ने इसके लिए पहले वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। इसके बाद जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) अब कॉरिडोर हटाने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर सकेगा। यह निर्णय राज्य सरकार के बजट में पहले ही घोषित किया जा चुका था। हालांकि इस परियोजना का निर्माण केन्द्र सरकार की आंशिक फंडिंग (50%) के माध्यम से जेएनएनयूआरएम (जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनर्नवीकरण मिशन) के तहत किया गया था, इसलिए अब बिना केंद्रीय अनुमति के इसे हटाना राज्य सरकार को महंगा पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, अभी तक केंद्र सरकार से इस पर कोई औपचारिक अनुमति नहीं ली गई है, जिससे आशंका है कि केंद्र सरकार राज्य सरकार से फंड की आंशिक या पूर्ण रिकवरी की मांग कर सकती है।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान भी इस कॉरिडोर को हटाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उस वक्त के शहरी विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार से यह पूछा था कि बीआरटीएस संचालन को बेहतर बनाने के लिए क्या प्रयास किए गए। यदि उत्तर संतोषजनक नहीं होता, तो मंत्रालय फंड की वसूली कर सकता था। उस समय के यूडीएच मंत्री ने भी विधानसभा में स्वीकार किया था कि प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजना जरूरी होगा। कॉरिडोर का उद्देश्य केवल बीआरटीएस बसों का संचालन था, जिसके लिए जेएनएनयूआरएम के तहत 100 विशेष बसें आवंटित की गई थीं। लेकिन सरकार ने इन बसों का संचालन अन्य रूटों पर भी शुरू कर दिया, जिससे कॉरिडोर पर नियमित रूप से संचालन नहीं हो सका और इसकी मूल भावना क्षीण हो गई। कॉरिडोर का निर्माण टुकड़ों में हुआ, जिससे इसका समग्र उपयोग असंभव हो गया।

 

सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक 7.1 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर का निर्माण हुआ, जिसकी लागत ₹75 करोड़ रही और संचालन 2010 में शुरू हुआ। अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा होते हुए न्यू सांगानेर रोड तक 9 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाया गया, जिसकी लागत ₹95 करोड़ रही और संचालन 2015 में शुरू हुआ। इसके अलावा अजमेर पुलिया से आगे चुंगी तक बने एलिवेटेड रोड में भी बीआरटीएस कॉरिडोर के लिए स्वीकृत राशि का उपयोग हुआ। अब देखना यह होगा कि क्या राज्य सरकार केंद्र सरकार से आधिकारिक अनुमति लेती है या फिर सीधे हटाने की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाती है, जिससे वित्तीय और कानूनी विवाद की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
 


Content Editor

Kuldeep Kundara

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News