राजस्थान के 2000 आंगनबाड़ी केंद्रों की बदलेगी तस्वीर, मिलेगा प्ले स्कूल जैसा माहौल
Thursday, Jul 24, 2025-03:02 PM (IST)

राजस्थान सरकार अब प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों के लिए और अधिक आकर्षक और शिक्षाप्रद बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य के 2000 आंगनबाड़ी केंद्रों को आदर्श केंद्र के रूप में विकसित करने के आदेश जारी किए हैं। यह कार्य उपमुख्यमंत्री की बजट घोषणा का हिस्सा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के शासन सचिव महेंद्र सोनी ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में कुल 14 निर्माण व सुधार कार्य कराए जाएंगे, जिन पर करीब 40 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य बच्चों को प्ले स्कूल जैसी सुविधाएं देना है, जिससे उनका मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास बेहतर तरीके से हो सके। इसके साथ ही पोषण, शिक्षा और स्वच्छता जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखा गया है।
हर जिले में होंगे ये 14 निर्माण कार्य
कार्य केंद्रों की संख्या अनुमानित खर्च (लाख रुपए में)
नल व्यवस्था फिटिंग 1622 81.1
पानी की टंकी 1630 57.05
टंकी से पानी आपूर्ति फिटिंग 1658 49.74
इलेक्ट्रिक मोटर (पंप) 2000 100
बिजली फिटिंग 1406 253.08
पंखे, एलईडी बल्ब आदि 1567 78.35
छतों की मरम्मत 1446 578.4
दरवाजे-खिड़कियों की मरम्मत 1439 215.85
फर्श की मरम्मत 1449 695.52
रसोई में स्लैब 2000 360
चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट 1618 323.6
बाल चित्रकारी व डिस्प्ले 1514 605.6
स्वच्छ पेयजल के लिए आरओ 2000 200
चिल्ड्रन पार्क विकसित 1339 401.07
बूंदी जिले को भी बड़ी सौगात
बूंदी जिले के 29 आंगनबाड़ी केंद्रों को आदर्श आंगनबाड़ी केंद्रों के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन केंद्रों में निर्माण कार्य के लिए वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है।
इन क्षेत्रों के केंद्र होंगे विकसित:
कोटखेड़ा, सगावंदा, मोहनपुरा, खटकड़-4, अजेता-1, केथूदा, डोरा, करौंदी, जमीतपुरा-1, मेहराना-11, चतरंगज-1, बड़ौदिया-1, बसोली, डाटूंदा, बड़ानयागांव, गुढ़ाबांध, धानुगांव, ताकला, सुवानिया, बामनगांव-1, पीपल्या, उतरना, झालीजी का बराना, नोताड़ा, अरनिया, रोटेदा-11, रंडी, सुमेरगंजमंडी-1, बढ़ावदी।
राज्य सरकार की इस पहल से राजस्थान के लाखों बच्चों को न सिर्फ बेहतर शैक्षिक वातावरण मिलेगा बल्कि उनके पोषण और समग्र विकास में भी सहायता मिलेगी। प्ले स्कूल जैसी सुविधाओं से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के बच्चों को समान अवसर प्राप्त होंगे।