JLF में शशि थरूर ने इंडिया अलायंस, हिंदुत्व और लोकतंत्र पर रखी अपनी राय
Sunday, Feb 02, 2025-02:42 PM (IST)
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) के चौथे दिन सांसद और लेखक शशि थरूर ने इंडिया अलायंस, हिंदुत्व और लोकतंत्र पर खुलकर अपनी राय रखी। उनके विचारों ने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर नई बहस को जन्म दिया।
शशि थरूर ने इंडिया अलायंस की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि जब यह गठबंधन बना था, तभी यह साफ था कि यह राज्यों में समान रूप से प्रभावी नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट किया, "हम लोकसभा चुनाव में एक साथ थे, लेकिन राज्यों में राजनीतिक परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं, इसलिए वहां यह गठबंधन टिक नहीं पाया।" उन्होंने इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा, "इंडिया अलायंस के दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने पर न तो जश्न मनाने की जरूरत है और न ही शोक व्यक्त करने की।" उन्होंने यह भी कहा कि "इंडिया अलायंस का मर्सिया पढ़ा जाना चाहिए, न कि इसका उत्सव मनाया जाना चाहिए।"
हिंदुत्व और हिंदुइज्म पर शशि थरूर का दृष्टिकोण
थरूर ने हिंदुत्व और हिंदुइज्म के बीच अंतर पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि "हिंदुत्व और हिंदुइज्म दो बिल्कुल अलग अवधारणाएं हैं।" उन्होंने इसे विस्तार से समझाते हुए कहा, "हिंदुत्व केवल एक राजनीतिक उपकरण है, जबकि हिंदुइज्म दर्शन और आस्था का व्यापक स्वरूप है।" थरूर के अनुसार, "हिंदुत्व, हिंदुइज्म की विशालता को सीमित कर देता है और इसे एक ईश्वर, एक मंदिर, एक नेता, एक देश और एक चुनाव तक बांध देता है।" उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में भक्ति और विविधता की जो गहराई है, वह हिंदुत्व की सीमाओं में फिट नहीं बैठती। शशि थरूर के विचारों ने राजनीतिक और धार्मिक विमर्श में एक नई बहस को जन्म दिया है। उनकी टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि वह लोकतंत्र, धर्म और राजनीति के जटिल संबंधों पर एक गहरे दृष्टिकोण से विचार कर रहे हैं।