हौम्योपैथी से बच्चेदानी की गांठ का सफल इलाज, बच्चेदानी में गांठ का इलाज अन्य विकल्प देखने जरूरी

Tuesday, Oct 01, 2024-06:39 PM (IST)

हौम्योपैथी से बच्चेदानी की गांठ का सफल इलाज

जयपुर में होम्योपैथी से बच्चेदानी की गांठ के सफल इलाज ने इस बीमारी से ग्रस्त महिलाओं में नई उम्मीद जगी है | जयपुर में केडी होम्योपैथिक,गोनेर के हौम्योपैथिक डॉ.कपिल देव ने बताया कि उनके पास एक महिला आई थी, जिन्हें एलोपैथी ने सर्जरी का सुझाव दिया था| मगर वो इस उम्र में बच्चेदानी निकलवा नहीं चाह रही थी| लिहाज़ा, होम्योपैथी में इलाज करवाने का विकल्प चुना, डॉक्टर कपिल देव के मुताबिक उन्होनें इस मामले को मरीज की सहमति से एक केस स्टड़ी के रूप में लिया और पूरे केस में जांच-पड़ताल की और एक महीने तक होम्योपैथी दवा दी गई | एक महीने बाद हुई जांच में इस गांठ में कुछ सुधार नज़र आया| इससे जगी उम्मीदों के बाद, महिला का करीब चार महीने लगातार इलाज चला और नियमित मॉनिटरिंग की गई, चार महीने बाद हुई जांच में गांठ पूरी तरह से ठीक हो गई| अब वो महिला पूरी तरह स्वस्थ है 

क्या है बच्चेदानी में गांठ की बीमारी

बच्चेदानी में गांठ यानी यूट्रस में रसौली (फ़ाइब्रॉइड) महिलाओं में एक आम समस्या है | यह गांठ 30 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में सबसे ज़्यादा देखने को मिलती है | हालांकि, यह किसी भी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकती है, ये गांठ आनुवांशिक या हार्मोन्स स्तर में बदलाव की वजह से भी हो सकती है, बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी और मोटापा भी इसके कारण है, बच्चेदानी में गांठ के लक्षण हैं महावारी के समय या बीच में ज्याजा रक्त स्त्रव, नाभी के नीचे पेट में दर्द और बार-बार पेशाब आना, यौन संबंध बनाते समय दर्द होना, मासिक धर्म सामान्य से ज्यादा दिनों तक चलना इत्यादि | 

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चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में शामिल हुई ये बीमारी 

डॉ. कपिल देव के मुताबिक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक देश में पहली बार भारत में बच्चेदानी निकलवाने के मामले में ईकाई स्तर के आंकड़े इकट्ठा किए गए| 2015-16 वर्ष में 15-49 वर्ष की जिन 7,00,000 महिलाओं को सर्वे में शामिल किया गया| राष्ट्रीय स्तर पर इस उम्र वर्ग में बच्चेदानी निकलवाने वाली महिलाओं की मौजूदगी जहां 3.2 प्रतिशत थी, बच्चेदानी निकलवाने वाली महिलाओं की संख्या ग्रामीण भारत में ज़्यादा थी और ज़्यादातर ऑपरेशन प्राइवेट अस्पतालों में किए गए थे, जहां तक बात 45 वर्ष से ज़्यादा उम्र की महिलाओं की है तो भारत में लॉन्गीट्यूडिनल एजिंग स्टडी 2017-18 में पाया गया कि 45 वर्ष से ज़्यादा उम्र की 11 प्रतिशत महिलाओं ने बच्चेदानी निकलवाने का ऑपरेशन करवाया है, इससे साफ है कि एलोपैथी के अलावा भी अन्य विकल्पों को देखने की ज़रूरत है, यदि स्थिति अति गंभीर न हों तो अन्य विकल्पों से बच्चेदानी की गांठ का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है |PunjabKesari


Content Editor

Kuldeep Kundara

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