‘सेप्सिस’ के इलाज में एंटीबायोटिक का कम असर चिंताजनक ?
Saturday, Jul 05, 2025-02:46 PM (IST)

नवजात शिशुओं में होने वाले गंभीर संक्रमण ‘सेप्सिस’ के इलाज को लेकर एक नया खुलासा हुआ है, जो आमजन के साथ चिकित्सकों के लिए भी चिंता का विषय है, हाल ही में विश्व के प्रतिष्ठित जर्नल ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स‘ में एक वैश्विक समीक्षा अध्ययन प्रकाशित हुआ, जिसमें नवजात शिशुओं में होने वाले गंभीर संक्रमण ‘सेप्सिस’ के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं की कम होती प्रभावशीलता को उजागर किया है। वैश्विक स्तर पर इस अभूतपूर्व और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी अतिमहत्वपूर्ण शोध को भारत के वरिष्ठ जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ.राम मटोरिया और यूएई के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.पंकज सोनी ने सह-लेखक के रूप में प्रस्तुत किया है। 2005 से 2024 के बीच किए गए 37 अध्ययनों से 8,954 नवजातों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए, इस समीक्षा में मृत्यु दर, उपचार विफलता और सामान्यतः उपयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध प्रोफाइल का मूल्यांकन किया गया
अध्ययन का निष्कर्ष
आवृत्ति:- 37 वैश्विक अध्ययनों से 8,954 नवजात (2005–2024)
मृत्यु दर- एंटीबायोटिक योजना के अनुसार 10% से 30% तक
संयोजन उपचार- एकल उपचार की तुलना में थोड़ी अधिक जीवित रहने की संभावना
प्रतिरोध के पैटर्न
एमिनोग्लाइकोसाइड्स के प्रति प्रतिरोध: 20% से 45% मामलों में
तीसरी पीढ़ी के सेफालोस्पोरिन्स के प्रति प्रतिरोध: 15% से 35%
कार्बापेनेम-प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव रोगजनक: वैश्विक मामलों के 10% में
क्यों महत्वपूर्ण है निष्कर्ष
बढ़ता प्रतिरोध सुरक्षित और प्रभावी उपचार विकल्पों को सीमित करता है
उचित देखभाल में देरी से मृत्यु और दीर्घकालिक जटिलताओं का खतरा बढ़ता है
संक्रमण के कारण गहन शिशु देखभाल इकाइयों में लंबा प्रवास, लागत और स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ
प्रतिरोध जीन अस्पतालों और समुदायों में फैल सकते हैं
वैश्विक प्रभाव:
WHO के अनुसार, प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण हर साल लगभग 2 लाख नवजातों की मृत्यु
प्रतिरोधी नवजात में प्रतिरोध जीन के वाहक बन सकते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
रोकथाम
गहन शिशु देखभाल इकाइयों -विशिष्ट एंटीमाइक्रोबियल प्रबंधन प्रोग्राम
स्थानीय एंटीबायोग्राम के आधार पर अनुभवात्मक एंटीबायोटिक
डॉ.राम मटोरिया की टिप्पणी - “नवजातों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक ‘बढ़ता हुआ वैश्विक खतरा’ है जो नवजात जीवितता और सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्रगति को रोक रहा है। हमें एंटीमाइक्रोबियल प्रबंधन (स्टूअरशिप) कार्यक्रमों को मजबूत करना चाहिए और स्थानीय सूक्ष्मजीव निगरानी में निवेश करना चाहिए ताकि अनुभवजन्य उपचार प्रभावी और टिकाऊ बने रहें।
अपील
भारत सहित दुनिया भर के गहन शिशु देखभाल इकाइयों में विशिष्ट एंटीबायोटिक स्टूअरशिप कार्यक्रम लागू करने, स्थानीय सूक्ष्मजीव निगरानी, रैपिड डायग्नोस्टिक तकनीकों में निवेश और संक्रमण रोकथाम की नीतियों को सशक्त बनाने की अपील। नवजात स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर लगाम लगाना अनिवार्य है।