मुख्यमंत्री के निर्देशों पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की पहल

Monday, May 05, 2025-08:57 PM (IST)

जयपुर | मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल एवं चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशों पर राजस्थान में मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में रोगियों की सुरक्षा और भवनों के रखरखाव के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग ने संयुक्त रूप से नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इस एसओपी के तहत राजकीय मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में रोगी सुरक्षा और सेवाओं को और सुदृढ़ किया जाएगा। आपातकाल, कैजुअल्टी, सर्जिकल प्रक्रियाओं और गंभीर रोगियों की देखभाल जैसे विशेषज्ञता और सुपर विशेषज्ञता क्षेत्रों में 24 घंटे सातों दिन प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाएं इससे और बेहतर एवं सुगम हो सकेंगी। 

चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि नई एसओपी के तहत प्रत्येक मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा एक चौकी स्थापित की जाएगी। इसके लिए स्थान अस्पताल द्वारा उपलब्ध करवाया जाएगा। इन चौकियों पर 24 घंटे प्लम्बर और इलेक्ट्रीशियन उपलब्ध होंगे तथा दिन के समय मे कारपेंटर और वेल्डर भी उपलब्ध होंगे। साझा परिसर वाले अस्पतालों में एक सामान्य चौकी होगी। सभी अस्पतालों में रखरखाव और रोगी शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन होगी, जो 24 घंटे संचालित होगी। 

नई एसओपी के अनुसार अस्पताल भवन की निर्माण लागत की 2 प्रतिशत राशि वार्षिक रख-रखाव निधि के रूप में पीडब्ल्यूडी को दी जाएगी, जिसका भुगतान राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसाइटी के माध्यम से होगा।  भवन मूल्य की गणना 2025-26 के लिए 28 हजार  रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से होगी। सामान्यतः 70 प्रतिशत निधि सिविल और 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल रखरखाव पर खर्च होगी, लेकिन स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर अस्पताल अधीक्षक आरएमआरएस अध्यक्ष की अनुमति से इस अनुपात में बदलाव कर सकेंगे।   

एएमसी एवं सीएएमसी पीडब्ल्यूडी के माध्यम से होंगे
चिलर, एसी, डीजल जनरेटर, ऑक्सीजन पाइपलाइन, लिफ्ट, फायर अलार्म, सीसीटीवी आदि उपकरणों के लिए वार्षिक रखरखाव अनुबंध और व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध पीडब्ल्यूडी द्वारा किए जाएंगे। निधि अस्पताल अधीक्षक द्वारा बजटीय आवंटन या आरएमआरएस से प्रदान की जाएगी।  

शिकायत के लिए प्रभावी तंत्र, सत्यापन के बाद ही होगा भुगतान
एसओपी के अनुसार रखरखाव शिकायतें हेल्पलाइन, वेबसाइट या मोबाइल एप के माध्यम से दर्ज होंगी और पीडब्ल्यूडी की देखरेख में ठेकेदार द्वारा निवारण किया जाएगा।  निवारण का सत्यापन अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी द्वारा होगा, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ठेकेदार को भुगतान करेगा।  

हर वर्ष होगा भवनों का सर्वे
पीडब्ल्यूडी द्वारा वार्षिक सर्वेक्षण कर भवन फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। रखरखाव की आवश्यकता होने पर पीडब्ल्यूडी एस्टीमेट तैयार कर अस्पताल अधीक्षक से स्वीकृति लेकर कार्य प्राथमिकता पर करेगा।  रिसाव मुक्त प्लंबिंग, जलरोधी छतें, प्लास्टर मरम्मत, सुरक्षित इलेक्ट्रिकल सिस्टम, टूटी टाइल्स, दरवाजों, खिड़कियों की मरम्मत, फैन, लाइट्स मेंटीनेंस और संरचनात्मक क्षति रोकने के लिए पेड़ों की जड़ें हटाना जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।  

मेंटीनेंस के लिए फंड की कोई कमी नहीं
मौजूदा रखरखाव अनुबंध पीडब्ल्यूडी को हस्तांतरित होंगे और भविष्य के सभी अनुबंध पीडब्ल्यूडी द्वारा किए जाएंगे। निधि की कमी को रखरखाव में चूक का कारण नहीं माना जाएगा।  अस्पताल समय पर निधि प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। रखरखाव में किसी भी लापरवाही पर अस्पताल अधीक्षक, वरिष्ठ लेखा अधिकारी और पीडब्ल्यूडी के संबंधित अभियंताओं के खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। आपातकालीन कार्य, दैनिक मरम्मत और निवारक रखरखाव के लिए समयबद्ध शेड्यूल 8 मई से 30 मई 2025 तक निर्धारित किया गया है, जिसमें टीम गठन, सर्वेक्षण, निविदाएं और कार्य शुरू करना शामिल है।  

 


Content Editor

Kuldeep Kundara

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