Rajkumar Roat के इलाके में सोने की खान! डर से आदिवासियों के छूटे पसीने
Wednesday, Oct 29, 2025-12:09 PM (IST)
जयपुर। सांसद राजकुमार रोत का इलाका बांसवाड़ा अब सोने की चमक से जगमगाने वाला है।क्योंकि यहां के घाटोल क्षेत्र के कांकरियागढ़ा ब्लॉक में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण की प्रारंभिक जांच में सोना, कॉपर, निकल और कोबाल्ट जैसे बहुमूल्य खनिजों के भंडार मिलने के संकेत मिले हैं। केंद्र सरकार ने इस सर्वे के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, जिसकी अंतिम तिथि पहले 14 अक्टूबर थी। अब 3 नवंबर को आवेदन खोले जाएंगे। जिसके बाद सर्वाधिक बोली लगाने वाली कंपनी को क्षेत्र में पूर्वेक्षण का लाइसेंस जारी किया जाएगा..हालांकि इसी के साथ ही अब वहां रहने वाले आदिवासियों के पसीने छूट रहे हैं।
राजकुमार रोत के संसदीय क्षेत्र बांसवाड़ा के कांकरियागढ़ा ब्लॉक में कांकरियागढ़ा, डूंगरियापाड़ा, देलवाड़ा रावना और देलवाड़ा लोकिया गांव शामिल हैं। यह क्षेत्र करीब 2.59 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कंपनी यहां सोने के साथ कॉपर, निकल, तांबा और कोबाल्ट की मौजूदगी की विस्तृत जांच करेगी। करीब 3 किलोमीटर के दायरे में डीप ड्रिलिंग और सैंपलिंग की जाएगी।
GSI ने 5-6 वर्ष पहले इसी क्षेत्र में 12 स्थानों पर 150–200 मीटर की दूरी पर 600–700 फीट गहराई तक ड्रिलिंग की थी। प्रारंभिक जांच में करीब 1.20 टन सोने, 1000 टन कॉपर, और कुछ मात्रा में निकल और कोबाल्ट की संभावना जताई गई थी। अब इसी जांच को और गहराई से समझने के लिए नई कंपनियों से बोलियां मंगाई गई हैं। सर्वे का काम पूरा होने में करीब 2-3 वर्ष का समय लग सकता है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी घाटोल के भुखिया-जगपुरा क्षेत्र में देश का सर्वाधिक स्वर्ण भंडार 11.48 करोड़ टन खोजा जा चुका है.. उसमें 13739 टन कोबाल्ट और 11146 टन निकल की भी उपलब्धता पाई गई थी.. खनन की अनुमति रतलाम की एक कंपनी को मिली थी, लेकिन कार्य अभी तक आगे नहीं बढ़ पाया है..
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार बांसवाड़ा क्षेत्र अरावली पर्वतमाला से सटा होने के कारण यहां की भूगर्भीय संरचना बेहद पुरानी है.. पृथ्वी की सतह में हुए परिवर्तनों से खनिज सतह के पास आ गए हैं, जिसके चलते मार्बल और सोने दोनों की मौजूदगी संभव है.. खनन कार्य शुरू होने पर टेक्नीशियन, मजदूर, ड्राइवर, मैकेनिक और सर्वे स्टाफ की बड़ी मांग होगी.. साथ ही आवास निर्माण और स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे..
हालांकि इसके साथ ही वहां रहने वाले आदिसियों की चिंता भी बढ़ गई है क्योंकि..पहले माही डेम, फिर न्यूक्लियर प्लांट, और अब गोल्ड माइंस के मिलने के बाद अब आदिवासियों को विस्थापन का डर सता रहा है.. स्थानीय लोगों का कहना है कि हमें पहले दो बार विस्थापित किया गया है.. जहां सोना मिला है वहां 90 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है..ऐसे में पहले उनकी मूलभूत सुविधाओं और आवास, रोजगार की व्यवस्था करके फिर माइंस का काम शुरू किया जाए..
