जेकेके में शुरू हुई 15-दिवसीय ध्रुवपद गायन कार्यशाला: पुरानी परंपरा को नई ऊँचाई
Monday, Jul 07, 2025-08:26 PM (IST)

जेकेके में शुरू हुई 15-दिवसीय ध्रुवपद गायन कार्यशाला: पुरानी परंपरा को नई ऊँचाई
जयपुर: जवाहर कला केन्द्र (जेकेके) में सोमवार से शुरू हुई 15-दिवसीय ध्रुवपद गायन प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन औपचारिक रूप से हुआ, जो 21 जुलाई तक चलने वाली है। इस विशिष्ट वर्कशॉप में राजस्थान की प्रमुख ध्रुवपद गायिका, विदुषी प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग, अपनी कला और अनुभव का ज्ञान साझा कर रही हैं।
उद्घाटन सत्र में जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक श्रीमती अलका मीणा, वरिष्ठ लेखाधिकारी श्रीमती बिंदु भोभरिया, कंसलटेंट प्रोग्रामिंग मैनेजर डॉ. चंद्रदीप हाड़ा, और फेस्टिवल कोऑर्डिनेटर छवि जोशी उपस्थित रहे। श्रीमती अलका मीणा ने जेकेके की ओर से एक प्रकाशन भेंट कर प्रो. तैलंग का सम्मान भी किया।
कार्यशाला में लगभग 60 प्रतिभागी विभिन्न आयु वर्ग से उभरते, उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। श्रीमती मीणा ने बताया कि ध्रुवपद शास्त्रीय संगीत की एक प्राचीन शैली है, और इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से इसकी कड़ी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सुरक्षित पहुंच सकेगी।
कार्यशाला के प्रारंभ में शामिल विषयों में विद्वान प्रो. तैलंग ने प्रतिभागियों को वैदिक गणपति स्तोत्र (संस्कृत उच्चारण), 14 महेश्वर स्तोत्र, ध्रुवपद का परिचय और उसकी विशिष्टताएं समझाईं। साथ ही, कोमल एवं शुद्ध स्वर प्रणाली, आलाप, लय शैली, “दुगुन-से-अनगुन” तकनीक, प्रमुख ध्रुवपद तालों (ताल पद्धति) की जानकारी दी। प्रतिभागियों को तान और बंदिशों के अनुप्रयोग से भी अवगत कराया गया।
इस शास्त्रीय संगत को और समृद्ध करने के लिए पखावज पर श्री प्रतीश रावत और तानपुरे पर सुश्री दीपिका कुमावत ने सहयोग किया, जिसके मद्देनजर प्रशिक्षणात्मक अनुभव और भी प्रभावशाली बना।