सुलह या दोनों तरफ से सियासत!
Sunday, Jun 08, 2025-12:17 PM (IST)

हनुमानगढ़, 8 जून 2025 । (बालकृष्ण थरेजा): सुलह या दोनों तरफ से सियासत!
विपक्ष वाली पार्टी में प्रदेश की राजनीति में एक नई तस्वीर देखने को मिली है। इस पार्टी में सरकार रहते लंबे समय तक सीएम इन वेटिंग रहे युवा नेता अचानक पूर्व मुखिया से मिलने उनके सरकारी बंगले पहुंच गए। इसकी औपचारिक जानकारी युवा नेता के पिता की पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रम में पूर्व मुखिया को निमंत्रण देना बताया गया। दोनों नेताओं ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह तस्वीर जारी की। इस तस्वीर ने प्रदेश के राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है। सरकार रहते युवा नेता अपने तत्कालीन मुखिया से मिलने तक नहीं गए। कई बार दोनों के बीच अदावत हुई। धड़ेबंदी साफ तौर पर देखी गई। अब यह तस्वीर दोनों के बीच मेल होने की है या कोई बड़ी सियासत का आगाज है इसका आंकलन किया जा रहा है। इस तस्वीर के सामने आते ही युवा नेता के खासतौर पर ऐसे समर्थक जो पूर्व मुखिया के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं, थोड़ा नरम नजर आए। कार्यकर्ताओं ने इस लम्हे का स्वागत किया है और पार्टी की मजबूती के लिए इसे जरूरी बताया है। अब चर्चा है कि यह सिर्फ औपचारिक निमंत्रण नहीं था बल्कि युवा नेता 2 घंटे तक पूर्व मुखिया के बंगले पर रहे। दोनों के बीच सियासी मंत्रणा हुई है। पूर्व मुखिया को दिल्ली कोई बड़ी जिम्मेदारी देना चाहती है। इस तस्वीर को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है। प्रदेश की राजनीति में पूर्व मुखिया का जलवा बरकरार है। हो सकता है दिल्ली से कोई मैसेज हो और इसमें युवा नेता को एडजस्ट होने को कहा गया हो।
सक्रियता से पा सकेंगे पार
जिले में नए आए पुलिस कप्तान के सामने अनेक चुनौतियां हैं। कानून -व्यवस्था लगभग पटरी से उतर चुकी है और अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों का बोलबाला है। नशे का अवैध कारोबार अन्य अपराधों का कारण बन रहा है। इसका असर अब जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में नशे का कारोबार लंबे समय से फल फूल रहा है। पुलिस कप्तान के ज्वाइन करते ही एक- दो बड़ी घटनाओं ने उन्हें चौकस कर दिया होगा। उनकी सक्रियता काफी अच्छी मानी जाती है। हरियाणा सीमा से लगने वाले जिले के एक दूर दराज के क्षेत्र में व्यवसायी के मर्डर के बाद पुलिस कप्तान ने रात को ही वहां पहुंचकर चौकसी दिखाई। उनकी चौकसी से अब अधीनस्थ अफसरों पर दबाव बनेगा। कई मामलों के खुलासे नहीं हुए हैं। चोरी, लूटपाट और नशे का अवैध कारोबार पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। थानों में पोस्टिंग हासिल करने वाले अफसर अक्सर राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं। अगर नए पुलिस कप्तान अपनी मेरिट पर अफसरों को रखेंगे तो थानों की व्यवस्था भी सुधरेगी। उम्मीद की जा सकती है कि युवा अफसर के आने से और उनकी सक्रियता से जिले के लोगों को कुछ राहत जरूर मिलेगी।
अनुभव से साबित की योग्यता !
विपक्षी पार्टी के जिला प्रधान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अनुभव, संपर्क और संगठन में वर्षों की तपस्या यूं ही व्यर्थ नहीं जाती। हालाँकि पिछले दिनों एक योजना के तहत ज़िला प्रधान को घेरे जाने की कोशिशें हुईं, लेकिन वे मज़बूती से अपने पद पर जमे रहे। विधानसभा चुनाव में पार्टी के कुछ पार्षदों और पदाधिकारियों के निर्दलीय के साथ हो लेने से कुछ कार्यकर्ताओं में असहजता थी, जिसे कुछ ने ज़िला प्रधान की कार्यशैली से जोड़कर देखा। लेकिन यह कहना गलत न होगा कि पार्टी के इस संघर्षशील झंडाबरदार के मन को ठेस पहुंचाने वाला था।
ज़िला प्रधान ने न केवल पार्टी को ज़िले में मज़बूत किया है, बल्कि हर आंदोलन, हर संघर्ष में सबसे आगे रहकर नेतृत्व किया है। कार्यकर्ता हों या मतदाता, ज़िले की गलियों से लेकर दिल्ली के गलियारों तक उनकी पहचान एक समर्पित सिपाही की है।
कुछ आकांक्षियों ने जब ये सोचा कि अब कुर्सी डोल रही है, तो वे राजधानी की ओर उड़ान भर गए पर यह भूल गए कि दिल्ली तो पहले ही प्रधान के सम्पर्कों में दर्ज है! कहते हैं न राजनीति में अनुभव और संबंध ही असली पूंजी होते हैं। यही वजह रही कि प्रदेश से लेकर देश की राजधानी तक हलचल के बावजूद ज़िला प्रधान न केवल पद पर बने रहे बल्कि अब सुनाई दे रहा है कि आने वाले बदलावों की सूची में उनका नाम कहीं नहीं है।
पुराने सिपाही यूं ही नहीं टिके रहते... दिल्ली से जो डोरी बंधी हो वो हवा से नहीं डगमगाती।