नरेश मीणा थप्पड़ कांड: सियासी भूचाल और न्याय की लड़ाई
Wednesday, Nov 20, 2024-06:01 PM (IST)
नरेश मीणा थप्पड़ कांड: सियासी भूचाल और न्याय की लड़ाई
राजस्थान में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा का "थप्पड़ कांड" एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। एसडीएम को थप्पड़ मारने के आरोप में नरेश मीणा फिलहाल न्यायिक हिरासत में टोंक जिला जेल में बंद हैं। इस घटना ने मीणा समाज को सड़कों पर ला दिया है, जहां उनके समर्थन में कई प्रदर्शन और रैलियां आयोजित हो रही हैं।
सीकर में आक्रोश रैली
सीकर में राजस्थान आदिवासी मीणा समाज के लोगों ने सिर पर कफन बांधकर एक आक्रोश रैली निकाली। रैली में भाग लेने वालों ने नरेश मीणा के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए विरोध जताया। वहीं, नरेश मीणा को न्याय दिलाने के लिए विशेष अदालत में सुनवाई भी की गई, जिसमें सर्व समाज ने एकजुट होकर उनके पक्ष में निर्णय लिया।
सवाई माधोपुर में सर्व समाज महापंचायत
19 नवंबर को सवाई माधोपुर के मीणा हाईकोर्ट अजनोटी में एक सर्व समाज महापंचायत का आयोजन हुआ। इसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग, महिलाएं और युवा शामिल हुए। महापंचायत में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को न्याय दिलाने के लिए चर्चा की गई और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा गया।
महापंचायत के मुख्य आरोप और मांगें
महापंचायत में मंच से वक्ताओं ने आरोप लगाया कि देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान पुलिस ने नरेश मीणा पर कई झूठे मुकदमे दर्ज किए। साथ ही, समरावता गांव में पुलिस द्वारा ग्रामीणों के साथ कथित तौर पर मारपीट और ज्यादती की गई।
सर्व समाज के पंच-पटेलों ने इन मांगों को प्रमुखता से उठाया:
- नरेश मीणा पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।
- समरावता व आसपास के गांवों में गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा किया जाए।
- ग्रामीणों के साथ हुई ज्यादती के लिए मुआवजा दिया जाए।
- दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए।
सर्व समाज की एकजुटता
महापंचायत में जिलाध्यक्ष बंशीलाल मीणा और शिवलाल मीणा की अध्यक्षता में सर्व समाज के प्रतिनिधियों ने न केवल थप्पड़ कांड पर चर्चा की, बल्कि इसे पुलिस और प्रशासन के खिलाफ सामूहिक अन्याय बताया। आठ सूत्रीय मांगों के तहत ज्ञापन सौंपते हुए लोगों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो विरोध प्रदर्शन तेज किए जाएंगे।
नरेश मीणा मामले ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर मीणा समाज और सर्व समाज के अन्य समुदायों का समर्थन निर्दलीय प्रत्याशी के प्रति एकजुटता दिखा रहा है। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस पर क्या कदम उठाते हैं।