स्टडी वीज़ा से जंग तक: रूस-यूक्रेन युद्ध में शहीद हुआ बीकानेर का अजय गोदारा

Thursday, Dec 18, 2025-03:45 PM (IST)

राजस्थान के बीकानेर जिले के लूणकरणसर क्षेत्र से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया है। अरजनसर गांव निवासी अजय गोदारा की रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान मौत हो गई है। अजय बेहतर भविष्य की तलाश में स्टडी वीज़ा पर रूस गया था, लेकिन वहां कथित तौर पर उसे पैसों का लालच देकर और झूठे वादों के सहारे सेना से जुड़ी गतिविधियों में जबरन शामिल कर लिया गया और बाद में युद्ध क्षेत्र में उतार दिया गया। अजय की मौत की सूचना मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और पूरे लूणकरणसर क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है।

पढ़ाई के सपने और युद्ध का भयावह सच
परिजनों के अनुसार, अजय गोदारा 28 नवंबर 2024 को रूस के लिए रवाना हुआ था। उद्देश्य केवल पढ़ाई करना और आगे चलकर एक सुरक्षित करियर बनाना था। लेकिन रूस पहुंचने के कुछ ही समय बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई। परिवार का आरोप है कि अजय को किचन के काम और सुरक्षित नौकरी का झांसा दिया गया, जबकि हकीकत में उसे सैन्य गतिविधियों में शामिल कर लिया गया। धीरे-धीरे अजय को समझ आ गया कि उसे जिस रास्ते पर धकेला जा रहा है, वह बेहद खतरनाक है और उसकी जान पर सीधा खतरा है।

“तीन महीने की ट्रेनिंग का वादा, चार दिन में जंग”
अजय की मजबूरी और भय उस समय सामने आया जब उसने करीब चार महीने पहले दो वीडियो रिकॉर्ड कर भारत में अपने परिवार और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। इन वीडियो में अजय ने बताया था कि उसे तीन महीने की ट्रेनिंग का भरोसा दिया गया था, लेकिन मात्र चार दिन के भीतर उसे यूक्रेन बॉर्डर के पास युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया। एक वीडियो में अजय यह कहते हुए दिखाई देता है कि “कुछ और कहा गया था, कुछ और करवाया जा रहा है। यह हमारा आख़िरी वीडियो भी हो सकता है।” आज ये शब्द पूरे इलाके को झकझोर देने वाले बन गए हैं।

मौत की सूचना और अंतिम यात्रा
करीब सात दिन पहले अजय की मौत की पुष्टि से जुड़ा एक ई-मेल परिवार को मिला। इसके बाद से ही घर में मातम का माहौल है। आज अजय का शव दिल्ली पहुंचा, जहां से कुछ ही देर में उसे अरजनसर गांव लाया जाएगा, ताकि अंतिम संस्कार किया जा सके। घर के बाहर रिश्तेदारों, पड़ोसियों और ग्रामीणों की भीड़ जुट गई है। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है और हर आंख नम है।

नेताओं से लगाई थी गुहार, लेकिन नहीं बच सकी जान
परिजनों ने बताया कि अजय के वीडियो सामने आने के बाद उन्होंने उसकी सुरक्षा और भारत वापसी के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा से भी मदद की अपील की थी। उम्मीद थी कि किसी तरह राजनयिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप से अजय को सुरक्षित वापस लाया जा सकेगा, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो सका।

अरजनसर और लूणकरणसर में शोक की लहर
अजय की मौत की खबर फैलते ही अरजनसर गांव सहित पूरे लूणकरणसर क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। गांव में चूल्हे नहीं जले, लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते नजर आए। ग्रामीणों का कहना है कि अजय एक सीधा-सादा, मेहनती युवक था, जिसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसे किसी विदेशी जंग में जान गंवानी पड़ेगी।

उच्चस्तरीय जांच और सख्त कदमों की मांग
ग्रामीणों और परिजनों ने केंद्र सरकार से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि किन एजेंटों, नेटवर्क या संस्थाओं ने भारतीय युवाओं को स्टडी वीज़ा के नाम पर युद्ध क्षेत्र में झोंकने का जाल बिछाया।  साथ ही यह भी मांग की जा रही है कि भविष्य में किसी भी भारतीय युवक के साथ ऐसा न हो, इसके लिए कड़े नियम, निगरानी तंत्र और राजनयिक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

एक चेतावनी बन गई अजय की कहानी
अजय गोदारा की मौत केवल एक परिवार का नुकसान नहीं है, बल्कि यह उन हजारों भारतीय युवाओं के लिए चेतावनी है जो विदेशों में बेहतर भविष्य की तलाश में जाते हैं। युद्धग्रस्त देशों में अवसरों के नाम पर होने वाला यह शोषण अब एक गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है। आज जब अजय का पार्थिव शरीर उसके गांव लौट रहा है, तो उसके साथ लौट रहे हैं कई सवाल—ऐसे सवाल, जिनके जवाब मिलना बेहद जरूरी हैं, ताकि कोई और अजय किसी जंग की भेंट न चढ़े।


Content Editor

Kuldeep Kundara

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