Holi Special - राजस्थान के बीकानेर में खेली जाती है 500 साल पुरानी डोलची मार होली

Thursday, Mar 13, 2025-06:25 PM (IST)

राजस्थान के बीकानेर में होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि एक अनोखी परंपरा का भी त्योहार है। यहां डोलची मार होली सदियों से मनाई जा रही है, जिसमें रंगों की जगह पानी से भरी चमड़े की डोलचियों का इस्तेमाल होता है। यह परंपरा हर्ष और व्यास जातियों के बीच खेली जाती है और माना जाता है कि जितना तेज पानी का वार होता है, आपसी प्रेम उतना ही गहरा होता है।

कैसे खेली जाती है डोलची मार होली?

इस खेल में दोनों जातियों के लोग डोलची में पानी भरकर साथी की पीठ पर वार करते हैं। जैसे-जैसे वार की आवाज तेज होती है, जोश और उत्साह भी बढ़ता जाता है। खेल के दौरान पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, और अंत में गुलाल उड़ाकर इसे समाप्त किया जाता है।

कैसे शुरू हुई यह परंपरा?

कहा जाता है कि आचार्य समाज और व्यास जाति के बीच मृत्युभोज को लेकर विवाद हुआ था, जिससे दोनों समुदायों में दूरियां बढ़ गई थीं। समाज के अन्य लोगों और हर्ष जाति ने इस विवाद को खत्म करने की कोशिश की, और इसी प्रेमभाव को दर्शाने के लिए डोलची मार होली की शुरुआत हुई। तब से यह परंपरा हर साल मनाई जाती है, जिसमें हर जाति-धर्म के लोग शामिल होकर भाईचारे का संदेश देते हैं।

डोलची मार होली की खासियत

यह परंपरा करीब 500 साल से चली आ रही है। इसमें रंगों की जगह पानी का इस्तेमाल होता है। हर्ष और व्यास जातियां आपसी प्रेम और भाईचारे को मजबूत करने के लिए इसे खेलती हैं। अंत में गुलाल उड़ाकर और पारंपरिक गीत गाकर होली का समापन किया जाता है। इस खेल को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से पर्यटक भी बीकानेर पहुंचते हैं।

इस अनूठी होली में क्यों शामिल हों?

अगर आप राजस्थान की परंपराओं और अनोखी होली का अनुभव करना चाहते हैं, तो बीकानेर की डोलची मार होली जरूर देखें। यह केवल एक खेल नहीं, बल्कि संस्कृति, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है, जो हर साल होली पर एक नई उमंग लेकर आता है। 


Content Editor

Raunak Pareek

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