“इंद्र-2025”: भारत-रूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास की राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में हुई भव्य शुरुआत
Wednesday, Oct 08, 2025-12:42 PM (IST)

महाजन फील्ड फायरिंग रेंज बीकानेर।
भारत और रूस के बीच सामरिक सहयोग और रक्षा साझेदारी की एक और महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में ‘इंद्र-2025’ (INDRA-2025) नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास की भव्य उद्घाटन समारोह के साथ राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में औपचारिक शुरुआत हुई। यह अभ्यास 15 अक्टूबर 2025 तक चलेगा, जिसमें दोनों देशों की सेनाएँ आतंकवाद-रोधी अभियानों, संयुक्त युद्धाभ्यासों और सामरिक समन्वय (interoperability) को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष के अभ्यास का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से लड़ाई के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग, समन्वय और रणनीतिक तालमेल को और बेहतर बनाना है।
महाजन की धरती पर भारत-रूस मित्रता का नया अध्याय
महाजन फील्ड फायरिंग रेंज का विस्तृत मरुस्थलीय इलाका भारत के प्रमुख सैन्य प्रशिक्षण स्थलों में से एक है, जहाँ अत्यधिक गर्मी, धूलभरी हवाओं और रेतीले मैदानों में सैनिक वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। यही कारण है कि “इंद्र-2025” को यहाँ आयोजित किया गया है — ताकि दोनों सेनाएँ वास्तविक ऑपरेशनल परिस्थितियों में अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकें।
अभ्यास के उद्घाटन समारोह में भारत और रूस, दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
रूसी पक्ष से इस अभ्यास का नेतृत्व मेजर जनरल आंद्रेई कोज़लोव ने किया, जबकि भारतीय पक्ष का नेतृत्व गांदीव डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल संजय चंद्र कंदपाला ने किया।
उद्घाटन समारोह में दोनों देशों के सैनिकों ने संयुक्त परेड की, जिसमें दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज एक साथ लहराए गए। भारतीय सैन्य बैंड ने राष्ट्रीय धुनें प्रस्तुत कीं और भारत-रूस के बीच दशकों पुराने मित्रतापूर्ण संबंधों को सलामी दी गई।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि
भारत के राजस्थान राज्य में स्थित महाजन प्रशिक्षण मैदान में ‘इंद्र-2025’ संयुक्त रूसी-भारतीय सैन्य अभ्यास का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्रवाई के लिए दोनों देशों की सेनाओं की सामरिक समन्वय क्षमता को बढ़ाना है।”बयान में यह भी कहा गया कि अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिक संयुक्त सामरिक अभियानों, संचार नेटवर्किंग, और संयुक्त कमांड संरचना (Joint Command Group) के तहत कार्य करने का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इसके अलावा, आधुनिक युद्ध परिस्थितियों में आपसी सामरिक संगतता और अनुभवों के आदान-प्रदान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
इंद्र-2025 के तहत सैनिकों को विभिन्न काउंटर-टेररिज्म परिदृश्यों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें शामिल होंगे:
संयुक्त गश्ती और टोही अभियानों का संचालन,
शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आतंकवाद-रोधी कार्रवाई,
बंधक मुक्ति अभियान (Hostage Rescue Operations),
संयुक्त कमांड पोस्ट एक्सरसाइज (CPX) और लाइव फायरिंग अभ्यास,
संचार समन्वय और संयुक्त नेतृत्व प्रशिक्षण,
तथा मिश्रित युद्ध (Hybrid Warfare) की स्थिति में सामरिक प्रतिक्रिया।
अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के हथियारों, रणनीतियों और युद्ध तकनीकों को समझेंगे और साझा अनुभवों के आधार पर अपनी संचालनात्मक दक्षता (Operational Efficiency) को और बढ़ाएंगे।
“इंद्र” श्रृंखला के सैन्य अभ्यास भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी का प्रतीक हैं। यह श्रृंखला वर्ष 2003 में शुरू हुई थी, और तब से अब तक यह अभ्यास तीनों सेनाओं — थल, वायु और नौसेना के स्तर पर आयोजित होता रहा है।
“इंद्र-2025” का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर भूराजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) बनाए रखते हुए रूस के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को संतुलित रखा है।
रूस और भारत दोनों ही ब्रिक्स (BRICS) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य हैं, और इस अभ्यास के ज़रिए वे यह संदेश दे रहे हैं कि आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में बहुपक्षीय सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
हथियार, तकनीक और आधुनिक युद्ध प्रशिक्षण
अभ्यास में भारत की ओर से शामिल हैं —
T-90 भीष्म टैंक, BMP-2 इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल, पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम, और ड्रोन एवं इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम जो कि आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।
वहीं रूसी दल अपने साथ BTR-82A बख्तरबंद वाहन, ऑर्लान (Orlan) ड्रोन, और आधुनिक स्मॉल आर्म्स लेकर आया है।
दोनों सेनाएँ इन प्लेटफॉर्म्स पर संयुक्त अभ्यास करके न केवल एक-दूसरे की तकनीकी क्षमताओं को समझेंगी बल्कि भविष्य की रणनीतिक संचालन क्षमता को भी मजबूत करेंगी।
भारतीय सेना की ओर से मेजर जनरल संजय चंद्र कंदपाला ने कहा है कि भारत और रूस के बीच यह साझेदारी केवल हथियारों या तकनीक की नहीं, बल्कि भरोसे, परंपरा और समान मूल्यों की साझेदारी है। इंद्र-2025 हमारी उस भावना का प्रतीक है जो हमें आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के विरुद्ध एकजुट करती है।”
रूसी पक्ष के प्रमुख मेजर जनरल आंद्रेई कोज़लोव ने कहा कि
हम भारत के साथ दशकों से चले आ रहे अपने मित्रतापूर्ण संबंधों को अत्यंत सम्मान देते हैं। यह अभ्यास न केवल सैनिकों के प्रशिक्षण का अवसर है बल्कि एक साझा संदेश है कि रूस और भारत आतंकवाद के विरुद्ध कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
यह अभ्यास उस समय आयोजित किया जा रहा है जब भारत अपनी रक्षा कूटनीति (Defence Diplomacy) को व्यापक स्तर पर विस्तारित कर रहा है। एक ओर भारत क्वाड (QUAD) देशों के साथ संयुक्त अभ्यास कर रहा है, वहीं दूसरी ओर रूस के साथ पारंपरिक साझेदारी को भी सशक्त बनाए रख रहा है।
इससे यह संदेश जाता है कि भारत किसी एक धुरी का हिस्सा नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और संतुलित वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है।
अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिक केवल युद्धाभ्यास ही नहीं, बल्कि संस्कृति, खेल और परंपराओं के स्तर पर भी एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं।
भारतीय जवानों ने रूसी दल के लिए पारंपरिक लोकनृत्य प्रस्तुत किया, वहीं रूसी सैनिकों ने अपने सैन्य गीतों और लोकसंगीत के माध्यम से दोस्ती का संदेश दिया। एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि जब सैनिक एक साथ प्रशिक्षण करते हैं, एक ही भोजन साझा करते हैं और एक ही चुनौती का सामना करते हैं, तब राष्ट्रीय सीमाएँ गौण हो जाती हैं — जो बचता है वह केवल एकता और भाईचारे की भावना है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, आने वाले वर्षों में इंद्र श्रृंखला को त्रिसेवा अभ्यास (Tri-Service Exercise) के रूप में विस्तारित करने की योजना है, जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना एक साथ भाग लेंगी।
इससे भारत और रूस की सेनाएँ आधुनिक युद्ध के सभी आयामों — भूमि, वायु और समुद्र — पर संयुक्त रूप से काम करने के लिए और सक्षम बनेंगी।
महाजन की तपती रेत पर भारतीय और रूसी सैनिकों का एक साथ अभ्यास करना केवल एक सैन्य प्रशिक्षण नहीं, बल्कि विश्व को संदेश है कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए सामूहिक सहयोग ही एकमात्र मार्ग है।
“इंद्र-2025” इस मित्रता, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है — जहाँ भारत और रूस न केवल हथियार साझा करते हैं, बल्कि विश्व शांति, स्थायित्व और आतंकवाद-मुक्त भविष्य के लिए एक साझा दृष्टि भी रखते हैं।