प्राकृतिक खेती से सुधारे मृदा एवं मानव स्वास्थ्य- डॉ कर्नाटक
Sunday, May 25, 2025-01:04 PM (IST)

भीलवाड़ा। कृषि विज्ञान केन्द्र गाँधीनगर, भीलवाड़ा पर शनिवार को जिले का प्रथम. प्राकृतिक कृषि उत्पाद मेले का आयोजन किया गया। मेले का शुभारम्भ महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कलपति डॉ. अजित क॒मार कर्नाटक के कर. कमलों द्वारा किया गया। यह मेला कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा द्वारा गठित कृषक उत्पादक . संगठन (एफपीओ) मीव किसान बाजार एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के संयुक्त तत्तवावधान में लगाया गया। बाद में उन्होंने मेले में किसानों... द्वारा कृषि उत्पादों का निरीक्षण कर सभी उत्पादों. की जानकारी ली । इससे पूर्व श्री कर्नाटक का... स्वागत राजस्थान अनार उत्पादक संघ के ' अध्यक्ष अनिल राठी ओर केंद्रीय कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ सीएम यादव ने पुष्प गुच्छ भेंट कर किया। डॉ. कर्नाटक ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेला जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं मानव व मृदा के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होगा। डॉ. कर्नाटक ने प्राकृतिक खेती के महत्त्व पर चर्चा करते हुए बताया कि प्राकृतिक कृषि उत्पाद मेले में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा साथ ही वे अपने उत्पादों को एक ही छत के नीचे बेचकर अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकेंगे। डॉ. कर्नाटक ने प्राकृतिक खेती को उपलब्ध संसाधनों से ही कम लागत पर करने वाला व्यवसाय बताया। डॉ. कर्नाटक ने मक्का को आने वाले समय की सबसे बड़ी फसल बताते हुए मक्का के मूल्य संवर्धन द्वारा आमदनी बढ़ाने पर जोर दिया।डॉ. कर्नाटक ने यह भी बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र के परिसर में गाँधीनगर पुलिस थाना खुलना नामुमकिन है, क्योंकि यह केन्द्र भारत सरकार के अधीन है और यह केन्द्र भारत सरकार एवं राज्य सरकार की योजनाओं के तकनीकी हस्तान्तरण में अहम भूमिका निभाता है। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने बताया कि प्राकृतिक खेती उत्पाद मेला 30 मई तक चलेगा जिसमें भीलवाड़ा जिले के अतिरिक्त राज्य के अन्य जिलों के प्राकृतिक खेती करने वाले किसान अपने प्राकृतिक उत्पादों की स्टाल लगाकर उचित दर पर बेचान करेंगे। डॉ. यादव ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरन्तर प्रयासरत है साथ ही केन्द्र पर प्राकृतिक खेती इकाई की स्थापना की गई है जिसमें जिले एवं राज्य के किसान प्राकृतिक खेती के प्रमुख घटक बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, ब्रह्मास्त्र, नीमास्त्र, आन्नेयास्त्र एवं दशपर्णी के प्रायोगिक एवं सैद्धान्तिक प्रशिक्षण प्राप्त कर प्राकृतिक खेती अपना रहे है। डॉ. यादव ने बताया कि मेले के अतिरिक्त अन्तराष्ट्रीय मक्का और गेहूँ सुधार केन्द्र, एशिया मक्का कार्यक्रम, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित जोखिम भरी असुरक्षित कृषि की पारिस्थितिकी में जलवायु अनुकूल मक्का आने वाले समय में सबसे फायदेमंद होने वाली है।