भीलवाड़ा: तालाब के रास्ते निकली अनोखी नाव बारात, 7 सजी नावों में 5 किमी तक चला शादी का उत्सव
Monday, Dec 15, 2025-02:04 PM (IST)
भीलवाड़ा । जिले के गंगापुर क्षेत्र शादी में बैंड बाजा, घोड़े और लग्जरी गाड़ियों की बारात तो आम हो गई है, लेकिन इस बारात में कुछ अलग और रोमांचित कर देने वाला नजारा देखने को मिला। गंगापुर के लाखोला गांव में दूल्हा 7 सजी धजी नावों के काफिले में बारात लेकर तालाब के रास्ते निकला | डीजे पर नाचते गाते बाराती करीब 5 किलोमीटर का सफर तय कर दुल्हन के गांव पहुंचे।
सात नावों पर निकली बारात
लाखोला गांव में मांगीलाल जाट के पुत्र की 11 दिसंबर को हुई शादी में बारात निकालने का तरीका पूरी तरह अलग था। परिवार ने सड़क की बजाय तालाब के रास्ते बारात ले जाने का फैसला किया। इसके लिए कुल 7 नावों को फूल मालाओं, लाइटों, गुब्बारों और पारंपरिक तरीके से सजाया गया। तालाब में उतरते ही नावों का यह काफिला किसी उत्सव से कम नजर नहीं आया।
5 किलोमीटर तक पानी पर चला उत्सव
यह नाव बारात लाखोला गांव से बगैरा गांव तक तालाब के जरिए करीब 5 किलोमीटर का सफर तय कर रमेश जाट के घर पहुंची। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में पहले हेलिकाप्टर से बारात जाने की चर्चा सुनी गई थी, लेकिन तालाब के रास्ते नावों में बारात पहली बार देखने को मिली। पानी की लहरों के बीच DJ की आवाज और बारातियों का उत्साह इस सफर को और रोमांचक बना रहा था।
सबसे आगे रही दूल्हे की नाव
नावों के काफिले में दूल्हे की नाव सबसे आगे रखी गई। उसके पीछे बाराती अपनी अपनी नावों में सवार होकर गीत संगीत, ढोल और DJ की धुनों पर नाचते गाते आगे बढ़ते रहे। तालाब के बीच यह दृश्य किसी फिल्मी सीन जैसा नजर आ रहा था, जिसे देखने के लिए दोनों
हेलिकॉप्टर बारात से मिला आइडिया
परिवार के सदस्यों ने बताया कि गांव में पहले हेलिकॉप्टर से बारात जाने की चर्चा ने उनके मन में कुछ अलग करने का आया | उन्होंने सोचा कि इस बार ऐसा आयोजन किया जाए, जो बिल्कुल नया हो, परंपरा से जुड़ा हो और गांव की पहचान बने। इसी सोच से नाव बारात का विचार आया, जिसे पूरे परिवार और गांव का समर्थन मिला।
किनारे पहुंचते ही गूंजे मंगल गीत
जैसे ही बारात की नावें तालाब के किनारे पहुंचीं, वहां पहले से मौजूद ग्रामीणों ने तालियों से स्वागत किया। महिलाओं ने मंगल गीत गाए। पूरे रास्ते लोग मोबाइल में इस रोमांचक पल को कैद करते रहे। ग्रामीणों का कहना है कि समय के साथ साधन बदल सकते हैं, लेकिन जब परंपरा और नवाचार एक साथ जुड़ जाएं, तो वही पल इतिहास बन जाता है। लाखोला गांव की यह नाव बारात अब इसी वजह से यादगार बन गई है।
