कृषि कॉलेज भवन की इमारतें बन गईं, अब सड़क कौन बनायेगा

Sunday, Aug 17, 2025-02:50 PM (IST)

कृषि कॉलेज भवन की इमारतें बन गईं, अब सड़क कौन बनायेगा 
बारां, 17 अगस्त (दिलीप शाह)। राजस्थान के बारां जिले में तत्कालीन सरकार ने आनन -फानन में दो सरकारी कृषि कॉलेज तो खोल दिए, लेकिन वित्तीय स्वीकृति से बनी कॉलेज भवन की इमारतों में जाने के रास्तों को शामिल ही नहीं किया। ऐसे में अब कृषि विपणन विभाग रोड़ कैसे बनाएं जाएं उसके लिए ताने-बाने बुन रहा हैं। सूत्रो के अनुसार पिछली सरकार ने बजट घोषणा के तहत राज्य में 29 नये कृषि कॉलेजों को खोलने की घोषणा करते हुए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की थी। उनमें बारां जिले के बारां तथा आदिम जाति सहरिया उपखंड के शाहबाद में कृषि कॉलेज खुलने शामिल थे। बारां में कॉलेज भवन के लिए समसपुर तथा शाहाबाद में नेशनल हाईवे के खुशियारा में चयनित भूमि पर इनकी इमारतों का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जो अब जाकर लगभग पूर्ण होने के कगार पर है। लेकिन कॉलेजों में एंटर होने के लिए पक्का रास्ता ही नहीं है। कारण बताया जा रहा है कि वित्तीय स्वीकृति में रोड़ बनना ही शामिल नहीं था तो कैसे बनाएं। निर्माण कार्य एजेंसी जिला कृषि विपणन विभाग के अधिशाषी अभियंता शिवभूषण शर्मा ने बताया कि राजकीय कृषि महाविद्यालय शाहाबाद के निर्माण के लिए 880.00 लाख रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मिली थी। शाहबाद कृषि कॉलेज के निर्माण पर अब तक 875.00 लाख की राशि के कार्य हो चुके हैं। यह लगभग बनकर तैयार है, जिसे शीघ्र विभाग को हैंडओवर कर दिया जाएगा। 
एक्सईएन शर्मा ने बताया कि  शाहबाद कृषि कॉलेज 3244 वर्ग मीटर एरिए में बना है। इस भवन में 4 अतिरिक्त कक्षा कक्ष 9 *12 मीटर में बनाए गए हैं, जबकि 7 प्रयोगशालाएं बनाई गई है। भवन निर्माण में 8 प्रोफ़ेसर कक्ष, एक आचार्य कक्ष तथा एक सभा कक्ष बनाया गया है। प्रथम तल का प्लिंथ एरिया 1382 वर्ग मीटर पर स्थित है। वहां दो प्रयोगशालाएं, एक पुस्तकालय एवं 9 प्रोफ़ेसर कक्ष के साथ एक स्पोर्ट्स कक्ष बनाया गया है। इसी तरह बारां के सरसपुर कृषि कॉलेज की स्थिति है।
रोड़ के लिए मसीहा की खोज
अधिशासी अभियंता शिवभूषण शर्मा ने बताया कि कृषि कॉलेज भवन निर्माण में रोड निर्माण का कार्य शामिल नहीं था, इसलिए बन नहीं पाया। इसके लिए सरकार को लिखा जाएगा या फिर किसी मसीहा या जनप्रतिनिधि से संपर्क किया जाएगा ताकि किसी तरह कॉलेज रोड बन सके। भवन के चारों ओर चारदिवारी का काम भी नहीं हो सका है। बजट का अभाव तथा फॉरेस्ट भूमि की भी समस्या है। अब जैसे निर्देश होंगे वैसा होगा।


Content Editor

Kailash Singh

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