पुष्कर में धर्मशाला संचालक सरकार ओर राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए का लगा रहे है, चुना

Thursday, Apr 10, 2025-07:16 PM (IST)

पुष्कर । पर्यटन स्थलों पर होटल व्यवसाय एक प्रमुख आय का स्रोत होता है, लेकिन कई जगहों पर यह व्यवसाय धर्मशालाओं के बढ़ते प्रभाव के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। धर्मशालाएं, जो पहले केवल तीर्थयात्रियों के लिए सस्ती और साधारण सुविधाएं प्रदान करने का जरिया थीं, अब अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ होटल व्यवसाय को कड़ी टक्कर दे रही हैं। इसका असर खासतौर पर छोटे और मध्यम स्तर के होटलों पर अधिक देखने को मिल रहा है।

धर्मशालाओं का बढ़ता प्रभाव

धर्मशालाएं पहले केवल धार्मिक स्थलों तक सीमित थीं, लेकिन अब ये पर्यटन स्थलों पर भी खुल रही हैं। कई धर्मशालाएं अब वातानुकूलित कमरे, आधुनिक स्नानगृह, भोजन की उत्तम व्यवस्था और अन्य कई सुविधाएं कम कीमत पर उपलब्ध करा रही हैं। चूंकि ये आमतौर पर धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित होती हैं, इसलिए इन पर करों का भार कम होता है और सरकारी सहायता भी मिलती है।

इसके विपरीत, होटल व्यवसाय को भारी करों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि संपत्ति कर, जीएसटी, लाइसेंस फीस, और कई अन्य प्रशासनिक खर्च। इसके अलावा, होटलों को अपने कर्मचारियों का वेतन, रखरखाव और अन्य खर्च भी वहन करने पड़ते हैं, जिससे उनकी लागत अधिक हो जाती है।

होटल व्यवसाय को होने वाले नुकसान

1. कमरे बुकिंग में गिरावट – जब पर्यटकों को कम कीमत पर धर्मशाला में बेहतर सुविधाएं मिल जाती हैं, तो वे होटल में ठहरने से बचते हैं। इससे होटल व्यवसाय की आमदनी में गिरावट आती है।

2. लागत में असमानता – धर्मशालाएं कम लागत पर अधिक सुविधाएं देती हैं, जबकि होटलों को अपनी सेवाएं बनाए रखने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। इससे प्रतिस्पर्धा असमान हो जाती है। लेकिन आज तीर्थ नगरी पुष्कर धर्मशालाओं में त्यौहारों ओर शादी ब्याह की बुकिंग कर होटल संचालकों को आर्थिक नुकसान पहुंचा कर प्रशासन को सालाना करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचा रहे है, 

त्यौहारों पर 2 से तीन हजार रुपए रुम किराए पर देना तो दूसरी ओर शादी ब्याह में एक दिन शादी ब्याह बुकिंग 1 लाख से 3 लाख रुपए तक वसूले जा रहे हैं। जिस पर सरकार को एक रुपए का टैक्स देना नहीं पड़ता है 

 GST नहीं देना सालाना UD टैक्स सहित अन्य कर का पालिका या नगर परिषद को चपत लगा रहे है, शादी ब्याह में या त्योहारों पर धर्मशाला संचालक इसकी आड़ में समाज के लोगों के अलावा अन्य पर्यटकों को होटल की कीमत के बराबर या मध्यम वर्ग छोटी होटल के बराबर रेट में रुम किराए पर चलाते हैं। 

 होटल व्यवसाय में निवेश घटता जा रहा है।
 सरकारी हस्तक्षेप – सरकार को धर्मशालाओं और होटलों के लिए कर नियमों में संतुलन लाना चाहिए ताकि होटल व्यवसाय को अनुचित प्रतिस्पर्धा का सामना न करना पड़े।

धर्मशालाओं के नियमन की आवश्यकता – सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धर्मशालाएं केवल धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए ही काम करें और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में न उतरें।

धर्मशालाओं के बढ़ते प्रभाव ने तीर्थ नगरी पुष्कर में होटल व्यवसाय को गंभीर संकट में डाल दिया है। यदि इस पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो होटल उद्योग में काम करने वाले लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है। ओर नगर परिषद ओर प्रशासन को मिलने वाली सालाना टैक्स या अन्य आजीविका भुगतान राशि का नुकसान उठाना पड़ रहा है, नीतियों, सरकारी हस्तक्षेप और व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव के जरिए ही इस समस्या का समाधान संभव है। लेकिन सरकार ओर राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए की सालाना चपत लगते जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे देख रहे हैं, जिसको लेकर प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।


Content Editor

Kuldeep Kundara

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